Sunday, May 6, 2012

निरंतर कह रहा .......: प्रेम का समुद्र

निरंतर कह रहा .......: प्रेम का समुद्र: पानी की बूँद था , अपने प्रेम से तुमने उसे समुद्र बनाया अब तुम ही विछोह चाहती हो भाप जैसे उड़ा कर आकाश में मिलाना चाहती हो...

निरंतर कह रहा .......: उगते सूर्य का उजाला

निरंतर कह रहा .......: उगते सूर्य का उजाला: तुम्हें उगते सूर्य का उजाला समझा था कुछ पलों के लिए तुमने उसमें नहलाया भी था मन इतना उजला हो गया जिधर देखता उधर उजाला ही दि...

निरंतर कह रहा .......: कुंठा की अभिव्यक्ती

निरंतर कह रहा .......: कुंठा की अभिव्यक्ती: प्रेम , प्यार , मोहब्बत तुम कहते हो खामोश रहूँ  आंसू ना बहाऊँ भावनाओं को खुले आम ना दर्शाऊँ तो , क्या ग़मों को पीता रहूँ उनका...

निरंतर कह रहा .......: मैं इतना जाहिल तो नहीं

निरंतर कह रहा .......: मैं इतना जाहिल तो नहीं: मैं इतना जाहिल तो नहीं ख़ूबसूरती को नहीं पहचानूँ तुम्हें देख कर आहें ना भरूँ इतना तंगदिल भी नहीं तुम मुस्कराओं मैं तारीफ़ न...

Wednesday, May 2, 2012

निरंतर कह रहा .......: सृजन और विध्वंस

निरंतर कह रहा .......: सृजन और विध्वंस: किस्मत मिट्टी की अच्छी या खराब निर्भर करेगा उस पर जिसके के हाथों में जायेगी मिट्टी उसकी जैसी नियत वैसा ही करेगा वो एक ब...

निरंतर कह रहा .......: झूठ का आवरण

निरंतर कह रहा .......: झूठ का आवरण: किसी ने तुम्हारे प्रशंसा में दो मीठे शब्द बोल दिए , तुम पचा नहीं पाए फूल कर कुप्पा गए बिना यह सोचे समझे कहने वाले का मंतव्य क्या था क्या व...

निरंतर कह रहा .......: क्रोध पर कविता -मैं नहीं कहता तुम मेरी मानो

निरंतर कह रहा .......: क्रोध पर कविता -मैं नहीं कहता तुम मेरी मानो: मैं नहीं कहता तुम मेरी मानो पर ध्यान से सुन तो लो मुझे प्रतीत होता है तुम्हें क्रोध बहुत आता है आवेश में जो नहीं कहना चाहि...

निरंतर कह रहा .......: जी का वन ही तो जीवन है

निरंतर कह रहा .......: जी का वन ही तो जीवन है: जीवन के सृजन कर्ता से पूछा मैंने एक दिन क्यों आपने संसार में सांस लेने वालों का नाम जीव रखा वो मुस्कारा कर बोला जी का व...