Thursday, September 15, 2011

व्यक्तित्व के सृजन में जीवन लग जाता

व्यक्तित्व के
सृजन में
जीवन लग जाता 
क्रोध का
ग्रहण लगते ही
पल में नाश होता
दंभ विचारों को
भयावह बनाता
अहम् मनुष्य को
रसातल पहुंचाता
निरंतर हँसते को
रुलाता
जीवन नारकीय
हो जाता
चैन भाग्य से
रूठ जाता
15-09-2011
1511-82-09-11

Wednesday, September 14, 2011

संतुष्टी जीवन का मूल मन्त्र

संतुष्टी जीवन का
मूल मन्त्र 
इच्छाएँ रखना भी
आवश्यक 
नियंत्रण उन पर
अत्यावश्यक
बिना कर्म के कुछ नहीं
मिलता
सफलता मिलना
निश्चित ना होता
हिम्मत फिर भी नहीं
हारना 
म्रदु व्यवहार सबको
भाता
अभिमान मनुष्य का
नाश करता
क्रोध जीवन को
भस्म करता
स्वार्थ सुख नाशक
होता
दुखों को बुलावा देता  
दिनचर्या के नियम
बनाओ
व्यवहार में अपने
संयम लाओ
होड़ अपने से दूर
भगाओ 
 सदाचार से जीना सीखो
धन बिना काम नहीं
चलता
भविष्य का भी ध्यान करो
आवश्यकतानुसार
संचय करो
येन केन प्रकारेण
ना संचय करो
निरंतर इश्वर का
नमन करो
छोटों को प्यार
बड़ो का सम्मान
करो
खुल कर हंसा करो
कम से कम रोया करो
समय सदा
इकसार नहीं रहता
ये बात भी जान लो
  दर्द जीवन में आयेंगे
दर्द सहना सीख लो
14-09-2011
1502-74-09-11

Friday, September 2, 2011

जिसने जीत लिया स्वार्थ को वो विजेता कहलाता

ग्रंथों को पड़ लो
इतिहास को देख लो
ज्ञानी में ढूंढ लो
अज्ञानी में देख लो
छोटे बड़े में खोज लो
स्वार्थ मनुष्य के
स्वभाव का अंग
जीवन के युद्ध में
जिसने जीत लिया
स्वार्थ को
वो विजेता कहलाता
जिस पर वश
कर लिया स्वार्थ ने
वो हारा कहलाता
निरंतर
उस से लड़ लो
नियंत्रण
उस पर कर लो
मुक्ती स्वार्थ से
पा लो
जीवन को सुन्दर
बना लो
02-09-2011
1434-09-09-11