Sunday, April 24, 2011

जब तक जियो,हँसते हुए जियो (काव्यात्मक लघु कथा )


जब तक जियो,हँसते हुए जियो
रोज़ की तरह
पब्लिक पार्क में घूम रहा था
जान पहचान के लोगों से
मिलना भी हो रहा था
बैंक वाले शर्माजी का
ध्यान आया
कई दिन से नहीं दिखे थे
मालूम किया तो पता चला
चार दिन पहले
 अचानक हार्ट अटैक से
निधन हो गया
सुन कर अच्छा नहीं लगा
याद करने लगा
साल भर में तीन लोगों का
 निधन हुआ
सोच में डूबा था तभी
निरंतर हँसते रहने वाले
वर्माजी का हँसते हँसते
पदार्पण हुआ
उनके आने का पता
उनके ठहाकों से  चल जाता 
मुझे रुआंसा देख कारण पूंछा
मैंने शर्माजी के निधन के
बारे में बताया 
हँसते हुए कहने लगे
मित्र एक बात याद रखना
आना जाना
जीवन में चलता रहता
परमात्मा के नियम को
कोई नहीं बदल सकता
जो आया है वो जाएगा भी
जब तक जियो,हँसते हुए जियो
जाओ तो ना खुद रोओ 
ना दूसरों को रुलाओ
रोने से जीवन लंबा नहीं होता
हंसने से ज़रूर होता
अगले दिन पता चला
वर्माजी को रात में
दिल का दौरा पडा
उनका भी निधन हो गया
24-04-2011
750-170-04-11

Thursday, April 21, 2011

खुदा

लोग मंदिर,
मस्जिद में मुझे ढूंढते
धर्म के ठेकेदारों से
पता मेरा पूंछते
निरंतर नए तरीकों से
मुझे खोजते
फिर भी मुझे पाते नहीं
मैं इंसान के दिल में रहता
ईमान और इंसानियत में
बसता
लालच से नफरत मुझे
सूरज बन
उजाला दिन में करता
रात को
चाँद बन कर निकलता
जो दिल से ढूंढता,
सिर्फ उसे मिलता
17-04-2011
696-120-04-11
डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"

लगन और मेहनत

कभी अंग्रेजी में कमजोर रहीं रेणु US यूनिवर्सिटी की वीसी बनीं चिदानंद राजघट्टा
वॉशिंगटन : आज जब भारतीय मूल के अमेरिकी स्पेस शटल से अंतरिक्ष में जा रहे हैं , 
कांग्रेस व गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं और फाइनैंशल संस्थानों के अध्यक्ष बन रहे हैं। ऐसे समय में एक ठेठ प्रवासी भारतीय का किसी अमेरिकी यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर बनना और अमेरिकी यूनिवर्सिटीज का प्रेसिडेंट चुना जाना काफी महत्वपूर्ण है। 
यही नहीं, अमेरिका के एजुकेशन वर्ल्ड में किसी प्रवासी भारतीय का महत्वपूर्ण पद पाना वहां के भारतीय समुदाय और यूनिवर्सिटी दोनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। 
सोमवार को ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ रीजेन्ट्स ने आधिकारिक तौर पर
रेणु खाटोर को अगला मुख्य कार्यकारी चुन लिया। इसके बाद से ही खाटोर मीडिया में छाई हुई हैं। 
यूपी के फरुखाबाद से अमेरिका के फ्लोरिडा तक और कानपुर से ह्यूस्टन तक की उनकी यात्रा 
यहां के मीडिया में सुर्खियों में है।
खाटोर शादी के बाद 1974 में अपने पति के साथ पहली बार अमेरिका आईं।
उनकी अंग्रेजी की समझ काफी कमजोर थी, वह अंग्रेजी बोल नहीं पाती थीं। 
आप इस बात से
अंदाजा लगा सकते हैं कि स्कूल एडमिशन के डीन के साथ जब उनका इंटरव्यू हो रहा
था, तब उनके पति सुरेश खाटोर दोनों के लिए ट्रांसलेटर की भूमिका निभा रहे थे।
सुरेश खाटोर परड्यू यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स थे।
इसके बाद खाटोर ने पीछे मुड़ के नहीं देखा। 
उन्होंने कड़ी मेहनत की और भाषा पर पकड़ बनाने में कामयाब रहीं। 
1983 में सुरेश को दक्षिणी फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी से पढ़ाने का ऑफर मिला और खाटोर दंपति 
फ्लोरिडा चले आए। रेणु का सिलेक्शन भी यूनिवर्सिटी में अस्थायी तौर पर हो गया।
लेकिन दो दशकों में वह अपनी प्रतिभा और लगन से यूनिवर्सिटी की टॉप फैकल्टी में पहुंच गईं।
उनकी कामयाबी ने ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी का ध्यान अपनी ओर खींचा।
सोमवार को ह्यूस्टन क्रॉनिकल ने लिखा है कि 13वें यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट
समारोह में खाटोर बिना नोट्स के ही बोलीं और अपनी सरल बोलचाल के तरीके से सबका
दिल जीत लिया। 
कदम-कदम पर उनके पति ने भी उनका साथ दिया और उनका मनोबल बढ़ाया।
अब वह उनके जूनियर हैं।
खाटोर का आगे का रास्ता आसान नहीं है।
देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटियों में से
एक ह्यूस्टन में तकरीबन 3 हजार फैकल्टी और 50 हजार से अधिक स्टूडेंट हैं।
इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी का कामकाज संभालना खुद में एक बड़ी बात है। 
खाटोर को अधिक से अधिक फंड जुटाना होगा 
और दान देने वाले लोगों को अधिक से अधिक चंदा देने के लिए
प्रेरित करना होगा। यही नहीं, अच्छी से अच्छी फैकल्टी को भी यूनिवर्सिटी से
जोड़ने का काम उन्हें करना होगा। इन दोनों जिम्मेदारियों को कामयाबी के साथ
अंजाम देने के लिए उन्हें प्रवासी भारतीयों का सहयोग लेना होगा।
हालांकि खाटोर को इसका काफी तजुर्बा है। 
खाटोर जब प्रोवोस्ट के पद पर थीं, तब यूनिवर्सिटी को 
डॉ. किरण पटेल और उनकी पत्नी पल्लवी की तरफ से 18.5 मिलियन डॉलर
का डोनेशन मिला था। टेक्सास में उतने ही अमीर भारतीय मूल के अमेरिकी रहते हैं,
जितने कि फ्लोरिडा में और वे ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां पर एजुकेशन,
प्रतिष्ठा और गर्व का विषय बन गया है। 
(समाचार ,2007)

बसंत जैसी जिंदगी

बसंत जैसी जिंदगी
प्रकृति में अनूठा निखार संदेश दे रहा है कि ऋतुराज बसंत आ गया है। आओ, हम भी इस उल्लासमयी ऋतु को आत्मसात कर लें और महका लें अपनी जिंदगी बसंत सी। बसंत की शुरूआत के साथ ही प्रकृति खिलखिलाने लगी है। रोमांचित और प्रफुल्लित नजर आने लगी है। प्राकृतिक आबो हवा में उत्साह है, जोश है। बसंत हमें फिर पुकार रहा है मन में जोश और उत्साह भरने के लिए। आप भी अपने जीवन को बसंत की तरह बना लीजिए, जिसमें हो हंसी-खुशी और जिंदगी के प्रति सकारात्मक नजरिया। न सर्दी जैसे ठंडे और जमे हुए आपके विचार हों न गर्मी की तरह तड़पने और बैचेन रहने वाला मन।

आपका जीवन हो बसंत के माफिक, जो खिलखिलाता रहे, मुस्कुराता रहे और आपके आंचल में हों खुशियां ही खुशियां। आपका जीवन बसंत की तरह बना रहे इसके लिए जरूरी है आपका सकारात्मक नजरिया। सकारात्मक दृष्टिकोण आपके जीवन को खुशी से लबालब कर देगा। ओशो रजनीश कहते हैं कि प्राकृतिक चीजों को देखकर खुशी की सीख लें। उनके पास खुश रहने के लिए कोई वजह नहीं है, फिर भी वे खुश हैं। हम ऊंचे पद और बैंक बैलेंस को खुशी का आघार मानते हैं। सीखने की बात तो यह है आखिर कुदरती चीजें खुश कैसे रहती हैं। सकारात्मक सोच आपके विश्वास और योग्यता को बढ़ाकर जीवन में सफलता और प्रसन्नता से मुलाकात करवाती है।

सकारात्मक नजरिया

यह एक ऎसा सकारात्मक विचार है, जो आपके वर्तमान और भविष्य की क्रियाओं के लिए भीतरी चेतना का संचार करता है। आप में उत्साह और जोश भरता है। यदि यह एक बार आपके अवचेतन मस्तिष्क में पहुंच जाए, तो विचारों और क्रियाओं को सही दिशा में मोड़ देगा।

क्यों जरूरी है
सकारात्मक नजरिया अपनाकर आप शरीर व दिमाग को सही दिशा में काम में ले सकते हैं। यदि आप नजरिए का उपयोग सही रूप में करते हैं, तो प्राकृतिक व स्वस्थ तरीके से स्थायी तौर पर अपना वजन कम कर सकते हैं। हर चुनौती या परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। लक्ष्य प्राप्ति के लिए भीतरी शक्तिऔर याददाश्त बढ़ा सकते हैं। व्यवहार व स्वभाव को सुघार सकते हैं। रिश्तों को पहले से ज्यादा मजबूत और मघुर बना सकते हैं। फिर देखिए आपको हासिल होगा सुकून और मिलेगा चैन। जिंदगी सहज खुशी-खुशी और सरल तरीके से चलती रहेगी अपनी पटरी पर।

सकारात्मक व्यवहार की ताकत

जिंदगी के प्रति सकारात्मक नजरिए में बहुत ताकत होती है। इससे कई मुश्किलें आसान होती हैं। कामयाबी की राह में रोड़े बनने वाले नकारात्मक नजरिए और चिंता से मिलता है छुटकारा। इसे अपनाने से आपका जीवन बदल जाएगा और आपको हासिल होगी कामयाबी। महात्मा गांघी कहते थे कि सद्भावना से आप क्या सोचते हैं, क्या कहते हैं और क्या करते हैं यही खुशी है। जीवन के प्रति सकारात्मक व्यवहार के बहुत से फायदे देखे जा सकते हैं। जैसे-लक्ष्य व सफलता की प्राप्ति, अत्यघिक खुशी, ऊर्जावान शरीर, अंदरूनी शक्ति व हौसला, दूसरों व खुद को प्रेरणास्पद बनाना, मुश्किलों से न घबराना और लोगों की नजर में सम्मानीय होना आदि। नकारात्मक व्यवहार कहता है कि आप कभी सफलता हासिल नहीं कर सकते और सकारात्मक व्यवहार कहता है कि आप सफल हो सकते हैं।

सकारात्मक नजरिया होगा...

- खुशियों के चुनाव से
- जिंदगी के अच्छे पहलू की ओर घ्यान दें।
- खुश रहने के तरीकों को जानें।
- स्वयं पर विश्वास करें।
- खुशनुमा और जिंदा दिल लोगों के साथ संपर्क बनाएं।
- प्रेरणास्पद कहानियां पढ़ें।
- उस बात को दोहराएं, जिससे आपको प्रेरणा मिलती है।
- केवल उसे याद रखें, जो आप पाना चाहते हैं।
उपयोग कैसे करें
इन बातों को जिंदगी में उतारने से सकारात्मक नजरिया बनेगा और आप होते रहेंगे कामयाब-
- आप जो भी काम करें, उसके परिणाम के बारे में अच्छी तरह सोच लें।
- समस्याओं के निराकरण और अंत:चेतना को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन इसका उपयोग करें। इससे नकारात्मक विचार और डर दूर होगा।
- सकारात्मक दृष्टिकोण की सूची बनाएं।
- दिन की शुरूआत सकारात्मक विचारों से करें और सोने से पहले दिनभर की घटनाओं के बारे में सोचें। यदि संभव हो, तो दिन में कई बार इसका पालन करें।
- अपने दृष्टिकोण को सीघा और सामान्य बनाएं। ऎसे शब्दों का प्रयोग करें, जो आसानी से समझ आ जाए।

खुशी के लिए
समझ लीजिए
- हर चीज प्रत्येक के लिए नहीं होती।
- एक के लिए सब कुछ नहीं कर सकते।
- आप सभी चीजों को समानता से नहीं कर सकते।
- आप हर काम दूसरों से बेहतर नहीं कर सकते, क्योंकि आप भी औरों की ही तरह इंसान हैं।

तो फिर....

इस बात को जांचें कि आप क्या हैं। तय करें कि आप क्या कर सकते हैं। अपनी शक्तिपहचानें और उसका उपयोग करें। दूसरों से प्रतियोगिता न करें क्योंकि हर कोई आप जैसा हो जरूरी नहीं।
विश्वास करने की शक्ति
इनको अपनाने के बाद आप मे विश्वास करने की ऎसी शक्ति का संचार होगा, जिससे आपको महसूस होगा कि पूरे इतिहास में आप जैसा कोई नहीं। लगेगा जैसे जीवन में सुलझाने के लिए अब कोई समस्या ही नहीं है।

खुशी के कुछ तरीके

- योजना बनाएं और उन्हें क्रियान्वित करें।
- दिन पूरा होने तक कम से कम पांच आशीर्वाद प्राप्त करें।
- जिसे आप पसंद करते हैं, उससे बात करने के लिए हफ्ते में कम से कम एक घंटा निकालें।
- दिन में कम से कम एक बार दिल खोलकर हंसे।
- हफ्ते में तीन बार आघे घंटे व्यायाम करें।
- हर दिन एक बार किसी को देखकर हैलो कहें।
- किसी से एक अच्छी चीज सीखें।
- खुशी को प्राथमिकता दें।

शोघ

खुशी पर शोघ कने के बाद मनोवैज्ञानिकों ने जाना कि यह हमारे व्यवहार और संतुष्टि से प्रभावित होती है। उन्होंने कुछ लोगों के व्यवहार का अघ्ययन किया। सामने आया कि ज्यादातर लोगों का व्यवहार तनाव से भरपूर होता है। आमतौर पर इसका कारण झगड़ा, बच्चों संबंघी समस्या या गाड़ी खराब होना माना जाता है। एक अन्य शोघ के अनुसार 50 प्रतिशत लोग खुश हैं, 22 प्रतिशत लोग नाखुश हैं और 28 प्रतिशत लोग दुविघा की स्थिति में हैं। खुशी पर एक और शोघ किया गया जिससे पता चला कि ऎसे लोगों की संख्या ज्यादा है, जो खुश रहने का कारण घन को मानते हैं।

(सधन्यवाद ,प्रीति स्वर्णकार,पत्रिका.कॉम)

Sunday, April 10, 2011

खलील जिब्रान

  • सत्य को जानना चाहिए पर उसको कहना कभी-कभी चाहिए।
  • दानशीलता यह नहीं है कि तुम मुझे वह वस्तु दे दो,  
  • जिसकी मुझे आवश्यकता तुमसे अधिक है
  •  बल्कि यह है कि तुम मुझे वह वस्तु दो
  •  जिसकी आवश्यकता तुम्हें मुझसे अधिक है।
  • कुछ सुखों की इच्छा ही मेरे दुःखों का अंश है।
  • यदि तुम अपने अंदर कुछ लिखने की प्रेरणा का अनुभव करो तो 
  • तुम्हारे भीतर ये बातें होनी चाहिए- 
  •  1. ज्ञान कला का जादू,
  • 2. शब्दों के संगीत का ज्ञान और 
  •  3. श्रोताओं को मोह लेने का जादू।
  • यदि तुम्हारे हाथ रुपए से भरे हुए हैं 
  • तो फिर वे परमात्मा की वंदना के लिए कैसे उठ सकते हैं।
  • बहुत-सी स्त्रियाँ पुरुषों के मन को मोह लेती हैं। 
  • परंतु बिरली ही स्त्रियाँ हैं जो अपने वश में रख सकती हैं।
  • जो पुरुष स्त्रियों के छोटे-छोटे अपराधों को क्षमा नहीं करते
  • वे उनके महान गुणों का सुख नहीं भोग सकते।
  • मित्रता सदा एक मधुर उत्तरदायित्व है, न कि स्वार्थपूर्ति का अवसर।
  • मंदिर के द्वार पर हम सभी भिखारी ही हैं।
  • यदि अतिथि नहीं होते तो सब घर कब्र बन जाते।
  • यदि तुम्हारे हृदय में ईर्ष्या, घृणा का ज्वालामुखी धधक रहा है,
  • तो तुम अपने हाथों में फूलों के खिलने की आशा कैसे कर सकते हो?
  • यथार्थ में अच्छा वही है जो 
  • उन सब लोगों से मिलकर रहता है जो बुरे समझे जाते हैं।
  • इससे बड़ा और क्या अपराध हो सकता है कि
  • दूसरों के अपराधों को जानते रहें।
  • यथार्थ महापुरुष वह आदमी है 
  • जो न दूसरे को अपने अधीन रखता है 
  • और न स्वयं दूसरों के अधीन होता है।
  • अतिशयोक्ति एक ऐसी यथार्थता है जो 
  • अपने आपे से बाहर हो गई है।
  • दानशीलता यह है कि अपनी सामर्थ्य से अधिक दो 
  • और स्वाभिमान यह है कि अपनी आवश्यकता से कम लो।
  • संसार में केवल दो तत्व हैं- 
  • एक सौंदर्य और दूसरा सत्य। 
  • सौंदर्य प्रेम करने वालों के हृदय में है और सत्य किसान की भुजाओं में।
  • इच्छा आधा जीवन है और उदासीनता आधी मौत।
  • निःसंदेह नमक में एक विलक्षण पवित्रता है,
  • इसीलिए वह हमारे आँसुओं में भी है और समुद्र में भी।
  • यदि तुम जाति, देश और व्यक्तिगत पक्षपातों से जरा ऊँचे उठ जाओ 
  • तो निःसंदेह तुम देवता के समान बन जाओगे।
(विकिपी डिया से साभार)


Thursday, April 7, 2011

अनमोल वचन


 
पृथ्वी पर तीन रत्न हैं:
जल, अन्न और सुभाषित
 मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते हैं
संस्कृत सुभाषित
विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का 
ज्ञान ही संस्कृति है
मैथ्यू अर्नाल्ड
संसार रूपी कटु-वृक्ष के 
केवल दो फल ही अमृत के समान हैं
पहला, सुभाषितों का रसास्वादन  और दूसरा,
अच्छे लोगों की संगति(सत्संग)
चाणक्य
सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार 
हजारों दिमागों में आते रहे हैं
लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही
उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये
जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें
गोथे
मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ
वह कहो जो तुम जानते हो
इमर्सन
किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा 
सुभाषित पढना उत्तम होगा
सर विंस्टन चर्चिल
बुद्धिमानो की बुद्धिमता और बरसों का अनुभव
सुभाषितों में संग्रह किया जा सकता है
आइजैक डिजरायली
मैं अक्सर खुद को उदृत करता हूँ
इससे मेरे भाषण मसालेदार हो जाते हैं
सुभाषितों की पुस्तक 
कभी पूरी नही हो सकती
-राबर्ट हेमिल्टन
(सुभाषित=सुन्दर ढंग से कही गयी बात)