Saturday, December 31, 2011

"निरंतर" की कलम से.....: हर तूफ़ान के बाद चलती हैं अमन की हवाएं

"निरंतर" की कलम से.....: हर तूफ़ान के बाद चलती हैं अमन की हवाएं: हर तूफ़ान के बाद चलती हैं अमन की हवाएं काली रात के बाद जगमाती हैं सूरज की किरनें ज़मीं को नहलाती हैं सुनहरी धूप रंजो गम की दुनिया से निकल जा...

Thursday, December 22, 2011

निरंतर कह रहा .......: अति से विनाश

निरंतर कह रहा .......: अति से विनाश: उसने  बहुत आशाओं से  घर के बागीचे  में गुलमोहर का पेड़ लगाया दिल से  उसकी रखवाली करी निरंतर पानी से सींचा भर भर कर उसमें खाद डाली मन में ख...

Tuesday, December 20, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: सुनी सुनायी बातें

चिंतन........निरंतर का.......: सुनी सुनायी बातें: सुनी सुनायी बातों पर विश्वास नहीं करें किसी के कहने भर से , बिना अच्छी तरह से जाने किसी व्यक्ति के बारे में अपने विचार ना बनाएं , क्या पता क...

चिंतन........निरंतर का.......: अच्छा समय

चिंतन........निरंतर का.......: अच्छा समय: जीवन जैसे आये उसे जियें किस्मत को कोसने से भला नहीं होता ना ही अवांछित कार्य करें    समय कभी एक सा नहीं रहता कर्म करें , सब्र रखें एक दिन अच...

Tuesday, December 13, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: ह्रदय और मष्तिष्क में सामंजस्य आवश्यक है

चिंतन........निरंतर का.......: ह्रदय और मष्तिष्क में सामंजस्य आवश्यक है: महत्वपूर्ण विषयों पर फैसला लेने के लिए ह्रदय और मष्तिष्क में सामंजस्य आवश्यक है केवल भावना या व्यवहारिक सोच से फैसला नहीं करन...

निरंतर कह रहा .......: ना ज़मीं तेरी ना आस्मां तेरा ,तूं इक मुसाफिर यहाँ

निरंतर कह रहा .......: ना ज़मीं तेरी ना आस्मां तेरा ,तूं इक मुसाफिर यहाँ: ना ज़मीं तेरी ना आस्मां तेरा तूं इक मुसाफिर यहाँ फिर क्यूं करता है तेरा मेरा देखता है सपने निरंतर रखता है इच्छाएं अपार पालता है बैर मन में...

Sunday, December 11, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: अनुकूलन,या समंजन

चिंतन........निरंतर का.......: अनुकूलन,या समंजन: अनुकूलन , या समंजन (Adjustment) के लिए खुद को भी झुकना पड़ता है 011-12-2011-47 डा राजेंद्र तेला ," निरंतर ”

Wednesday, December 7, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: मन की शांती और चैन

चिंतन........निरंतर का.......: मन की शांती और चैन: अथाह धन भी मन की शांती और चैन नहीं खरीद सकता 07-12-2011-46 डा राजेंद्र तेला ," निरंतर ”

Sunday, December 4, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: जाने पहचाने रास्ते

चिंतन........निरंतर का.......: जाने पहचाने रास्ते: जाने पहचाने रास्ते पर चलना ही श्रेयस्कर होता है अनजाने रास्ते पर चलने से , असफलता और विपत्तियों का डर रहता है 04-12-2011-45 डा राजेंद्र तेल...

चिंतन........निरंतर का.......: सुख

चिंतन........निरंतर का.......: सुख: शारीरिक , मानसिक सुख नहीं हो तो सब व्यर्थ लगता 04-12-2011-44 डा राजेंद्र तेला ," निरंतर ”

Friday, December 2, 2011

निरंतर कह रहा .......: सब चले जा रहे हैं

निरंतर कह रहा .......: सब चले जा रहे हैं: सब चले जा रहे हैं कुछ दौड़ रहे हैं कुछ धीमी चाल से चल रहे हैं कम ही हैं जो सामान्य गति से चल रहे हैं मगर चल सब रहे हैं मरीचिका के भ्रम में ...

चिंतन........निरंतर का.......: पहल

चिंतन........निरंतर का.......: पहल: टकराव को समाप्त करना हो आगे बढना हो तो सुलह के लिए खुले दिमाग से , आगे हो कर पहल करें अन्यथा टकराव और हठ से होने वाले नुक्सान को भुगतने के ...

Thursday, December 1, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: क्या हम भी वही कर रहे हैं ,जो सब कर रहे हैं

चिंतन........निरंतर का.......: क्या हम भी वही कर रहे हैं ,जो सब कर रहे हैं: क्या हम भी वही कर रहे हैं जो सब कर रहे हैं ? क्या हम भीड़ की तरफ जा रहे हैं ? यह बहुत बड़ी समस्या है लोग बिना सोचे समझे समूह या भीड़ की ...

चिंतन........निरंतर का.......: ग्लानि

चिंतन........निरंतर का.......: ग्लानि: ग्लानि करनी हो तो खुद के गलत कृत्यों से करो 01-12-2011-44 डा राजेंद्र तेला ," निरंतर ”