Wednesday, November 30, 2011

"निरंतर" की कलम से.....: इश्वर भक्ती में डूबा रहा

"निरंतर" की कलम से.....: इश्वर भक्ती में डूबा रहा: प्यासे को पानी नहीं पिलाया भूखे को भोजन नहीं कराया निरंतर इश्वर भक्ती में डूबा रहा स्वर्ग के सपने देखता रहा परमात्मा ने भक्ती का प्रसाद दिय...

Tuesday, November 29, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: मनोविकार

चिंतन........निरंतर का.......: मनोविकार: शरीर के विकार की चिकित्सा दवा से होती है मनोविकार की चिकित्सा ध्यान , आत्म चिंतन आत्म अन्वेषण से होती है 29-11-2011-42 डा राजेंद्र तेला ," ...

चिंतन........निरंतर का.......: मानसिक शांती

चिंतन........निरंतर का.......: मानसिक शांती: जिस प्रकार भरे हुए संदूक में सामान रखने के लिए कुछ सामान बाहर निकालना पडेगा उसी प्रकार मानसिक शांती के लिए पुरानी बातों को मष्तिष्क से बाह...

Sunday, November 27, 2011

"निरंतर" की कलम से.....: राम -कृष्ण दोनों ने कहा

"निरंतर" की कलम से.....: राम -कृष्ण दोनों ने कहा: राम ने नहीं कहा मंदिर में बिठाओ मुझको कृष्ण ने नहीं कहा मंदिर में सजाओ मुझको राम -कृष्ण दोनों ने कहा निरंतर दिल में बसाओ हमको 2...

चिंतन........निरंतर का.......: सहमती -असहमती

चिंतन........निरंतर का.......: सहमती -असहमती: किसी प्रश्न के उत्तर में या विषय पर मौन रहना,सहमती माना जा सकता है असहमत हो तो,मौन ना रहे अपने विचार अवश्य प्रकट करने चाहिए वो भी इस तरह से...

Saturday, November 26, 2011

निरंतर कह रहा .......: राम -कृष्ण दोनों ने कहा

निरंतर कह रहा .......: राम -कृष्ण दोनों ने कहा: राम ने नहीं कहा मंदिर में बिठाओ मुझको कृष्ण ने नहीं कहा मंदिर में सजाओ मुझको राम -कृष्ण दोनों ने कहा निरंतर दिल में बसाओ हमको 2...

चिंतन........निरंतर का.......: भय और भ्रम

चिंतन........निरंतर का.......: भय और भ्रम: भय और भ्रम में अधिक फर्क नहीं होता दोनों मनुष्य के जीवन को कंटकाकीर्ण कर देते हैं जीवन भर चैन नहीं लेने देते 26-11-2011-39 डा राजेंद्र तेला...

Friday, November 25, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: भूल सुधारना

चिंतन........निरंतर का.......: भूल सुधारना: शायद ही कोई होगा जिससे भूल नहीं होती पर भूल सुधारना आवश्यक है चाहे खुद के सुधारने से सुधरे या किसी के कहने से सुधरे कई बार इंस...

Thursday, November 24, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: सीखना

चिंतन........निरंतर का.......: सीखना: कहते हैं माँ के पेट से सीख कर कोई नहीं आता मनुष्य जो भी सीखता है , अनुभव से या दूसरों को देख कर या फिर दूसरों द्वारा सिखाया जाता है सीखना ज...

चिंतन........निरंतर का.......: जात,पात,धर्मभाषा और प्रांत

चिंतन........निरंतर का.......: जात,पात,धर्मभाषा और प्रांत: जात , पात , धर्मभाषा और प्रांत की बात पर विश्वास रखना फिर आपस में प्रेम भाई चारे की बात करना , मिथ्या आशा और विचार है 22-11-2011-36 डा र...

Tuesday, November 22, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: इमानदारी

चिंतन........निरंतर का.......: इमानदारी: इमानदारी की बात करना आसान है इमानदारी रखना बहुत कठिन है 22-11-2011-34 डा राजेंद्र तेला ," निरंतर ”

चिंतन........निरंतर का.......: आडम्बर

चिंतन........निरंतर का.......: आडम्बर: खुद के आडम्बर का पता नहीं चलता दूसरों का बुरा लगता 22-11-2011-33 डा राजेंद्र तेला ," निरंतर ”

चिंतन........निरंतर का.......: संयम

चिंतन........निरंतर का.......: संयम: जीत का नशा सर पर चढ़ता हार का दुःख दिल-ओ-दिमाग पर असर करता दोनों स्थितियों में संयम रखना आवश्यक होता 23-11-2011-35 डा राजें...

चिंतन........निरंतर का.......: जात,पात,धर्मभाषा और प्रांत

चिंतन........निरंतर का.......: जात,पात,धर्मभाषा और प्रांत: जात , पात , धर्मभाषा और प्रांत की बात पर विश्वास रखना फिर आपस में प्रेम भाई चारे की बात करना , मिथ्या आशा और विचार है 22-11-2011-36 डा र...

Sunday, November 20, 2011

"निरंतर" की कलम से.....: रेत के घरोंदे

"निरंतर" की कलम से.....: रेत के घरोंदे: बहुत समझाता था उसे सपनों पर विश्वास मत किया करो समुद्र किनारे रेत के घरोंदे मत बनाया करो कभी कोई तेज़ लहर आयेगी घर को बहायेगी अपने सपनों ...

चिंतन........निरंतर का.......: हाँ सुनने की अपेक्षा

चिंतन........निरंतर का.......: हाँ सुनने की अपेक्षा: सदा हाँ सुनने की अपेक्षा नहीं रखें ना सुनने के लिए भी तैयार रहे ना सुनने पर ना निराशा में व्यथित हो ना क्रोधित हो 20-11-2011-32 डा राजेंद्र...

Friday, November 18, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: सलाह

चिंतन........निरंतर का.......: सलाह: सलाह सदा उचित देनी चाहिए कोई नहीं माने तो व्यथित नहीं होना चाहिए समय आने पर जिसे सलाह दी गयी अवश्य याद करेगा 17-11-2011-29 डा...

चिंतन........निरंतर का.......: अपेक्षा

चिंतन........निरंतर का.......: अपेक्षा: कम से कम अपेक्षा रखें अपेक्षा पूरी नहीं होने पर दुःख और निराशा होती है जिससे क्रोध की उत्पत्ती होती है बिना अपेक्षा के मिलने पर ...

चिंतन........निरंतर का.......: अधिकार

चिंतन........निरंतर का.......: अधिकार: सबको अपनी बात कहने का अधिकार है मानना नहीं मानना आपका अधिकार है 18-11-2011-31 डा राजेंद्र तेला ," निरंतर ”

Thursday, November 17, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: धन और गुण

चिंतन........निरंतर का.......: धन और गुण: धन से अच्‍छे गुण नहीं मिलते , धन अच्‍छे गुणों से मिलता है ! - सुकरात महान दार्शनिक सुकरात के समय में यह कथन उचित रहा होगा . आज के समय में म...

चिंतन........निरंतर का.......: शक्ती

चिंतन........निरंतर का.......: शक्ती: अपनी शक्ती को पहचानें उसके अनुरूप कार्य या व्यवहार करें जो दूसरों को अभिभूत करे अपनी कमज़ोरी को जाने उसके अनुरूप कार्य या व्यव...

Monday, November 14, 2011

चिंतन........निरंतर का.......: हाँ में हाँ मिलाना

चिंतन........निरंतर का.......: हाँ में हाँ मिलाना: हर बात में हाँ में हाँ मिलाना वैसे ही होता जैसे तैरना नहीं जानने पर भी कोई कहे , गहरे समुद्र से मुझे डर नहीं लगता 13-11-2011-1 डा.राजेंद्र ...

चिंतन........निरंतर का.......: फैसला

चिंतन........निरंतर का.......: फैसला: कोई भी फैसला करने से पहले यह भी देखना चाहिए आप फैसला करने के लिए सक्षम हैं भी या नहीं अगर आपको लगे आप सक्षम नहीं हैं तो किसी ऐसे व्यक्ती ...

चिंतन........निरंतर का.......: भेंट

चिंतन........निरंतर का.......: भेंट: अगर भेंट दे नहीं सकते तो जो भी भेंट मिले उस पर टीका टिप्पणी मत करो उसे सहर्ष स्वीकार करो 13-11-2011-3 डा.राजेंद्र तेला ,' निरंतर" अजमे...

चिंतन........निरंतर का.......: विचारों का मंथन

चिंतन........निरंतर का.......: विचारों का मंथन: जिस प्रकार दूध के मंथन से मक्खन निकलता है उसी प्रकार विचारों का मंथन करने से धीरे धीरे जीवन का मर्म समझ आने लगता है 14-11-2011-4 डा.राजेंद...

चिंतन........निरंतर का.......: सच कहना

चिंतन........निरंतर का.......: सच कहना: सच कहना चाहिए पर प्रयत्न करना चाहिए किसी के आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुंचे किसी को नीचा दिखाने के लिए कहा गया सच अपना महत्त्व खो देता है सम...

चिंतन........निरंतर का.......: समय

चिंतन........निरंतर का.......: समय: हम समय का इंतज़ार करते हैं समय हमारा इंतज़ार नहीं करता 14-11-2011-6 डा . राजेंद्र तेला ,' निरंतर " अजमेर ( राजस्थान )

चिंतन........निरंतर का.......: आत्मचिंतन और आत्मअन्वेषण

चिंतन........निरंतर का.......: आत्मचिंतन और आत्मअन्वेषण: सत्य को बिना जाने भी आत्मचिंतन और आत्मअन्वेषण का महत्त्व कम नहीं होता बहुत कुछ स्वयं समझ आने लगता है 14-11-2011-7 डा . राजेंद्...

चिंतन........निरंतर का.......: उचित-अनुचित

चिंतन........निरंतर का.......: उचित-अनुचित: उचित , अनुचित को तय करने के लिए समय और परिपेक्ष देखना भी आवश्यक होता 14-11-2011-8 डा . राजेंद्र तेला ,' निरंतर " अजमेर ( राजस्थ...

चिंतन........निरंतर का.......: बल

चिंतन........निरंतर का.......: बल: बलशाली निर्बल को निर्बल नहीं समझता 14-11-2011-10 डा . राजेंद्र तेला ,' निरंतर " अजमेर ( राजस्थान )

चिंतन........निरंतर का.......: प्रशंसा

चिंतन........निरंतर का.......: प्रशंसा: प्रशंसा प्रशंसा सब को अच्छी लगती है , शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है , प्रशंसा आवश्यक है , अच्छे कार्य की प्रशंसा न...

चिंतन........निरंतर का.......: सत्य बोलने का अर्थ

चिंतन........निरंतर का.......: सत्य बोलने का अर्थ: सत्य बोलने का एक अर्थ है स्वयं का आवरण हटाने का संघर्ष 23-06-2011 डा राजेंद्र तेला ," निरंतर "

चिंतन........निरंतर का.......: दृढ रहना

चिंतन........निरंतर का.......: दृढ रहना: समय काल और प्रचलित मान्यताओं से लड़ने वाला साहसी और विद्रोही कहलाता है उसका दृढ रहना भी अत्यावश्यक है , क्योंकि उसका विरोध भी निश...

Thursday, November 10, 2011

निरंतर कह रहा .......: नजाकत

निरंतर कह रहा .......: नजाकत: उनकी नजाकत का अंदाज़ तो देखिए उन्होंने एक तितली को छू लिया हाथ में ज़ख्म हो गया निरंतर मुस्काराता चेहरा गम में डूब गया 10-11-2011 1772-40-1...

Tuesday, November 8, 2011

सच्चा ज्ञान क्या है ?


ग्रंथों में एवं महापुरुषों ने जो कहा पढ़ कर ,
अथवा अपने अनुभव और विवेक के अनुसार सच्चे ज्ञान पर
अपने विचार प्रकट करना आसान लगता है
मनुष्य समझता है उसे सच्चे ज्ञान का पता चल गया .
लेकिन प्रश्न है ,कौन तय करता है ,सच्चा ज्ञान क्या है ?
संभवत:  निश्छल,निर्विकार,निष्पक्ष,निष्कपट जीवन जीने से,
परमात्मा में आस्था रखने एवं उसके मार्ग पर चलने से ही
सच्चे ज्ञान का अनुभव होता होगा.
08-11-2011
1761-29-11-11

स्त्री बल

अधिकतर पुरुष वर्ग समझता है,
स्त्रियाँ निर्बल होती हैं,वास्तविकता इसके विपरीत है,शारीरिक बल स्त्रियों का कम हो सकता पर ,आत्मिक बल अधिक होता है,सहने और करने की शक्ती भी अधिक होती है,जो त्याग और बलिदान स्त्रियाँ करती हैं ,
उसकी अनदेखी होती रही है.   
दुःख है की,पुरुष प्रधान समाज इस कटु सत्य को नज़रंदाज़ करता रहा है. 
08-11-2011
1760-28-11-11

'' अच्‍छे गुण ''


'' अच्‍छे गुण ''
धन से अच्‍छे गुण नहीं मिलते,
धन अच्‍छे गुणों से मिलता है !
-सुकरात
महान दार्शनिक सुकरात के समय में यह कथन उचित रहा होगा .
आज के समय में मेरा मानना है धन का सम्बन्ध अच्छे  गुणों से नहीं होता ,वरन धन  आज के समय में अधिकतर  अवांछनीय तरीकों से कमाया जाता है या कहिये धन कमाने का व्यक्ती के गुणों  से कोई सम्बन्ध नहीं होता
अच्छे गुण किसी भी धन से अधिक होते हैं
08-11-2011
1759-27-11-11