Sunday, July 17, 2011

दुखी


वो सबसे दुखी जो

निरंतर समझता

खुद को दुखी

जो खुदा ने दिया

उस से तृप्ति  नहीं होती

जुबान से सदा खीज

प्रकट होती

संतुष्टि उस से कोसों

दूर रहती

ज़िन्दगी रोते रोते

कटती

17-07-2011
1198-78-07-11

नए जोश से उठता हूँ ,फिर से चल पड़ता हूँ

स्वप्न लोक में खोता हूँ
इच्छाओं को संजोता हूँ
मन ही मन खुश होता हूँ
आशाओं में जुटता हूँ
कुछ दिनों में थकता हूँ
निराशा से भर जाता हूँ
रुआसाँ कौने में बैठता हूँ
किस्मत को कोसता हूँ
चेहरे की चमक खोता हूँ
निरंतर स्वयं से पूछता हूँ
क्या इतना कमजोर हूँ
हार मान लूं ?
कायरता से मैदान छोड़ दूं
शर्म से विचलित होता हूँ
नए जोश से उठता हूँ
फिर से चल पड़ता हूँ
17-07-2011
1197-77-07-11

इक आवाज़ ने मुझे जगाया सुकून का फलसफा समझाया


दिल दर्द से रो
रहा था
ग़मों का सैलाब
आया था
इक आवाज़ ने मुझे
जगाया
सुकून का फलसफा
समझाया
परेशान ना हो
"मैं"को छोडो
कोई जगह नहीं
"मैं" की ज़िन्दगी में
"मैं"दर्द बढाता 
दर्द-ऐ-दिल भूलो
शिकवा,शिकायत भूलों
क्या किसी ने कहा ?
क्या किसी ने करा?
जहन से निकालो
निरंतर आगे बढना तो
भावनाओं पर काबू रखो
करने वाले करते रहेंगे
जाल में फ़साने की
हर मुमकिन कोशिश
करते रहेंगे
आसान नहीं सब
करना
ये भी जान लो
लोग लाख चलन
अपना भूलें
तुम अपना चलन
ना भूलो
खून का घूँट पी लो
सफलता और सुकून
लिखवा कर ले लो
17-07-2011
1195-75-07-11

Friday, July 8, 2011

रिश्ता इंसान का इंसान से होता ,ह्रदय तो खुद का अपना होता

जिनसे मिले भी नहीं
वो तुम्हारे गुरु कैसे हो गए ?
वो कब तुम्हारे साथ थे ?
जो अब उनके दुनिया से
जाने के बाद
इतना मातम मना रहे हो
उन्हें शायद पता नहीं
मैं मातम नहीं मना रहा
वो दुनिया से नहीं गए
केवल देह छोड़ गए,
मैं चुप हूँ
एकटक उन्हें देख  रहा हूँ
उनसे संवाद कर रहा हूँ
कैसे इन्हें समझाऊँ ?
शरीर का साथ ही वास्तविक
साथ नहीं होता
मन और आत्मा का मिलन ही
सच्चा साथ होता
मैं कभी उनसे मिला नहीं
कभी उन्हें देखा नहीं
ना ही दीक्षा ली
उनकी लिखी किताबें पढी
उनसे फ़ोन पर बात करी
जीवन रहस्यों पर चर्चा करी
जीवन की बारीकियां
समझ में आयी
लगा मेरे पास बैठ कर
सब बता रहे हैं
सब्र से एक नादान को
जीवन का मर्म समझा रहे हैं
उनकी बातों को आत्मसात किया
जीवन में बदलाव महसूस किया
बिना मिले भी उनसे मिल गया
उन्हें गुरु मान लिया
राम,क्रष्ण,बुद्ध,महावीर से
कौन मिला ?
आत्मा और मन का अभेध्य
रिश्ता हो गया
मैंने कभी अपने को उनसे
दूर नहीं पाया
अब भी वो मेरे पास हैं
मेरा उनसे कोई रिश्ता नहीं
वो मेरे मन और आत्मा में बसे हैं
मेरा ह्रदय हैं
मन और आत्मा से रिश्ता
कहाँ होता ?
रिश्ता इंसान का इंसान से होता
ह्रदय तो खुद का अपना होता
1141-25-07-11

कोशिश करना नहीं छोड़ता

पेड़ों में पत्ते तो हैं
पर फूल नहीं खिलते
पक्षी अब
घोंसला नहीं बनाते
मैं फिर भी पानी देता हूँ
पक्षियों के लिए दाना
डालता हूँ
किसी पक्षी की नज़र
पड़ जाए
बसेरा पेड़ पर बसा ले
पूरी कोशिश करता हूँ
निरंतर नया घोंसला
तलाश करता हूँ
कहीं कोई फूल खिला हो
पेड़ को नज़रों से
छानता हूँ
हताश तो होता हूँ
निराश नहीं होता
हरयाली देख कर
खुश हो लेता  हूँ
संतुष्ट रहता हूँ
पर कोशिश करना
नहीं छोड़ता
07-07-2011
1148-32-07-11

मूंगफली और बादाम

मुझे पता नहीं था
बादाम बहुत महँगा आता
उसे खाना सम्पन्नता दर्शाता
हर किसी के
भाग्य में
बादाम खाना कहाँ लिखा होता ?
वो भाग्यशाली कहलाता
जिसके भाग्य में
बादाम का
सेवन और खरीदने का
सामर्थ्य होता 
मुझे बचपन
से ही
मूंगफली पसंद थी
पिता का
सामर्थ्य भी
मूंगफली तक सीमित था
कभी बादाम
और मूंगफली में से
चुनना होता
तो मूंगफली
चुनता
बड़ा होने
पर ,
सफलता के साथ धन भी
प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है 
अब आसानी से
बहुत कुछ खरीद सकता 
पत्नी और
बच्चे
मूंगफली पसंद नहीं करते ,
कहते हैं
स्टेटस को सूट नहीं करता
में अभी भी
मूंगफली खाना
पसंद करता 
बादाम से
परहेज नहीं
पर अपने को बदल नहीं पाता
अपने
सामर्थ्य को
बादाम या मूंगफली से
नहीं जोड़ता
सामर्थ्य और सम्पन्नता का पैमाना
 
अपनी पसंद
को मानता 
सब जगह मिल
सके
सदा खरीद
सकूं
किसी के साथ
किसी के
घर पर खा सकूं ,
कोई टेढ़ी आँखों से देखे
कंजूस कहे
मुझे फर्क
नहीं पड़ता
सबको सलाह
देता हूँ
आप भी
निरंतर मूंगफली
खाइए
मूंगफली और
बादाम को
सम्पन्नता और सामर्थ्य से
मत जोडिये
अपने को
तनाव रहित रखिये
जो केवल
बादाम खाने की कहते
उनसे दूर
रहिये
07-07-2011
1149-33-07-11