Thursday, March 15, 2012

निरंतर कह रहा .......: चेहरे

निरंतर कह रहा .......: चेहरे: मैंने देखे हैं   भांती भांती के चेहरे कुछ अपने में डूबे दुनिया से बेखबर फूल से कोमल कुछ चिंता से ग्रस्त दुखों के पहाड़ तले दबे हुए कुछ ऐसे ...

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