Tuesday, June 5, 2012

निरंतर कह रहा .......: दिन के उजाले पर रात की स्याही कैसी

निरंतर कह रहा .......: दिन के उजाले पर रात की स्याही कैसी: दिन के उजाले पर रात की स्याही कैसी हँसते हुए चेहरे पर आज ये उदासी कैसी महकाती थी ज़माने को खुशबू जिनकी आज उन बहारों में ये खिजा क...

No comments:

Post a Comment