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Friday, December 2, 2011
चिंतन........निरंतर का.......: पहल
चिंतन........निरंतर का.......: पहल: टकराव को समाप्त करना हो आगे बढना हो तो सुलह के लिए खुले दिमाग से , आगे हो कर पहल करें अन्यथा टकराव और हठ से होने वाले नुक्सान को भुगतने के ...
सटीक लिखा है आपने! सुन्दर प्रस्तुती! मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है- http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/ http://seawave-babli.blogspot.com/
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