Monday, April 4, 2011

बल

मनुष्य 
अपनी दुर्बलता से 
भली-भांति 
परिचित रहता है
पर उसे 
अपने बल से भी
अवगत होना चाहिये
— जयशंकर प्रसाद
 

No comments:

Post a Comment