Wednesday, June 22, 2011

विपत्ती और सब्र

विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है ,
स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है.
बेसब्री में सही निर्णय लेना व् उचित व्यवहार 
असंभव हो जाता है.
लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं , 
नहीं चाहते हुए भी
समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं
जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी
अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो
मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है ,
उसी तरह विपत्ती के समय 
शांत  रहने और सब्र रखने  में ही भलाई है.
धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी
एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले और 
उचित व्यवहार कर सकता है.
 डा.राजेंद्र तेला, निरंतर
22-06-2011

3 comments:

  1. आज के वक्त के लिए एकदम सही सन्देश .

    ReplyDelete
  2. रेखा ने कहा…1 टिप्पणियाँ:



    बहुत ही सुन्दर, क्रोधी व्यक्तियों के लिए और भी महत्वपूर्ण सदविचार .
    २३ जून २०११ ५:४२ अपराह्न

    ReplyDelete
  3. खूब कहा आपने इन्सान बहुत यदि अपने विवेक पर और क्रोध पर सायं रखे तो कभी भी कोई मुसीबत उसके द्वार पर नहीं आ सकती है .
    और चुप रह कर तो इन्सान सब कुछ कह जाता है , और शांत दिमाग हमेशा सही निर्णय ले पाता है

    ReplyDelete