विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है ,
स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है.
बेसब्री में सही निर्णय लेना व् उचित व्यवहार
असंभव हो जाता है.
लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं ,
नहीं चाहते हुए भी
समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं
जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी
अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो
मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है ,
उसी तरह विपत्ती के समय
शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है.
धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी
एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले और
उचित व्यवहार कर सकता है.
डा.राजेंद्र तेला, निरंतर
22-06-2011
आज के वक्त के लिए एकदम सही सन्देश .
ReplyDeleteरेखा ने कहा…1 टिप्पणियाँ:
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, क्रोधी व्यक्तियों के लिए और भी महत्वपूर्ण सदविचार .
२३ जून २०११ ५:४२ अपराह्न
खूब कहा आपने इन्सान बहुत यदि अपने विवेक पर और क्रोध पर सायं रखे तो कभी भी कोई मुसीबत उसके द्वार पर नहीं आ सकती है .
ReplyDeleteऔर चुप रह कर तो इन्सान सब कुछ कह जाता है , और शांत दिमाग हमेशा सही निर्णय ले पाता है