Thursday, June 23, 2011

सत्य कहना और सत्य सुनना

'सत्यमेव जयते '
सत्य की जीत निश्चित है
मगर सत्य कहना 
उतना ही मुश्किल है 
सत्य कहने के लिए ,
हिम्मत और होंसला तो चाहिए
 साथ ही 
प्रतिरोध और विरोध के लिए भी
तैयार रहना चाहिए
सत्य कहने से पहले
सत्य सुनने की शक्ती भी 
आवश्यक है
या कहिये सत्य कहने से
सत्य सुनना ज्यादा कठिन होता है
जो सत्य सुन सकता है
वही सत्य कहने का अधिकारी है
सत्य कहना और सुनना
निरंतर परिश्रम या अभ्यास से नहीं आता
मन का निश्छल और दुर्भावना रहित
होना आवश्यक है

सत्य बोलने का अर्थ है 
स्वयं का आवरण हटाने का संघर्ष
23-06-2011
डा राजेंद्र तेला,"निरंतर"

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