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Thursday, February 23, 2012
निरंतर कह रहा .......: समझ नहीं आता क्या करूँ?
निरंतर कह रहा .......: समझ नहीं आता क्या करूँ?: समझ नहीं आता क्या करूँ ? कैसे मन की बात कहूं ? क्या लोक लाज को छोड़ दूं ? सीमाओं को तोड़ दूं शहर में उसे आम करूँ खुद की हँसी उड्वाऊँ या ...
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