जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच
द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें ......
Thursday, February 9, 2012
निरंतर कह रहा .......: निश्छल प्रेम
निरंतर कह रहा .......: निश्छल प्रेम: नदी का निर्मल शीतल जल समुद्र के प्रेम में मग्न अविरल बहते हुए समुद्र से मिलने चल देता कोई पथ से रोके अवरोधक बने अपने पथ से डिगता नहीं निर...
No comments:
Post a Comment