दिल दर्द से रो
रहा था
ग़मों का सैलाब
आया था
इक आवाज़ ने मुझे
जगाया
सुकून का फलसफा
समझाया
परेशान ना हो
"मैं"को छोडो
कोई जगह नहीं
"मैं" की ज़िन्दगी में
"मैं"दर्द बढाता
दर्द-ऐ-दिल भूलो
शिकवा,शिकायत भूलों
क्या किसी ने कहा ?
क्या किसी ने करा?
जहन से निकालो
निरंतर आगे बढना तो
भावनाओं पर काबू रखो
करने वाले करते रहेंगे
जाल में फ़साने की
हर मुमकिन कोशिश
करते रहेंगे
आसान नहीं सब
करना
ये भी जान लो
लोग लाख चलन
अपना भूलें
तुम अपना चलन
ना भूलो
खून का घूँट पी लो
सफलता और सुकून
लिखवा कर ले लो
17-07-2011
1195-75-07-11
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