"करत करत अभ्यास के
जड़ मति होंहिं सुजान
रसरी आवत जात ते
सिल पर परहिं निशान"
जड़ मति होंहिं सुजान
रसरी आवत जात ते
सिल पर परहिं निशान"
-रहीम
अभ्यास के बिना
अनुभव और
कोरा शाब्दिक ज्ञान
अंधा होता है
अभ्यास से मूर्ख भी
विद्वान् बन सकता है
अनुभव और
कोरा शाब्दिक ज्ञान
अंधा होता है
अभ्यास से मूर्ख भी
विद्वान् बन सकता है
No comments:
Post a Comment