Sunday, April 24, 2011

जब तक जियो,हँसते हुए जियो (काव्यात्मक लघु कथा )


जब तक जियो,हँसते हुए जियो
रोज़ की तरह
पब्लिक पार्क में घूम रहा था
जान पहचान के लोगों से
मिलना भी हो रहा था
बैंक वाले शर्माजी का
ध्यान आया
कई दिन से नहीं दिखे थे
मालूम किया तो पता चला
चार दिन पहले
 अचानक हार्ट अटैक से
निधन हो गया
सुन कर अच्छा नहीं लगा
याद करने लगा
साल भर में तीन लोगों का
 निधन हुआ
सोच में डूबा था तभी
निरंतर हँसते रहने वाले
वर्माजी का हँसते हँसते
पदार्पण हुआ
उनके आने का पता
उनके ठहाकों से  चल जाता 
मुझे रुआंसा देख कारण पूंछा
मैंने शर्माजी के निधन के
बारे में बताया 
हँसते हुए कहने लगे
मित्र एक बात याद रखना
आना जाना
जीवन में चलता रहता
परमात्मा के नियम को
कोई नहीं बदल सकता
जो आया है वो जाएगा भी
जब तक जियो,हँसते हुए जियो
जाओ तो ना खुद रोओ 
ना दूसरों को रुलाओ
रोने से जीवन लंबा नहीं होता
हंसने से ज़रूर होता
अगले दिन पता चला
वर्माजी को रात में
दिल का दौरा पडा
उनका भी निधन हो गया
24-04-2011
750-170-04-11

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