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Sunday, October 30, 2011
"निरंतर" की कलम से.....: कल आज और कल
"निरंतर" की कलम से.....: कल आज और कल: कल आज और कल का क्रम कभी ना टूटेगा आज से कल बेहतर हो मन सदा चाहेगा बीता हुआ कल याद अवश्य आयेगा अच्छा रहा होगा तो मन को अभिभूत करेगा बुरा रहा...
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