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Saturday, October 22, 2011
"निरंतर" की कलम से.....: तुम्हें चलते रहना है
"निरंतर" की कलम से.....: तुम्हें चलते रहना है: तुम्हें रास्ता खुद बनाना है चट्टानों से फूट कर नदी सा बहना है इधर उधर ना भटक जाना मेहनत के पानी को व्यर्थ ना छलकाना गति पर अपनी काबू रखना...
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