Tuesday, October 25, 2011

विश्वास


विश्वास
एक ऐसा शब्द जो हम निरंतर सुनते हैं ,जिस के बिना मनुष्य का जीवन नहीं चलता,विश्वास दो व्यक्तियों या व्यक्तियों के बीच संबंधों की धुरी के सामान होता है.
संबंधों का बनना,बिगड़ना परस्पर विश्वास पर ही निर्भर करता है.
विश्वास नहीं होता तो विश्वासघात भी नहीं होता .
ध्यान रखने योग्य प्रमुख बात है,विश्वास कभी एक पक्षीय नहीं हो सकता.
सदा द्वीपक्षीय होता है.
विश्वास पाने के लिए विश्वास करना भी उतना ही आवश्यक है,साथ ही मर्यादाहीन,अवांछनीय कार्यों और व्यवहार के लिए किसी से विश्वास की अपेक्षा करना, निरर्थक होता है.
डा.राजेंद्र तेला "निरंतर"
अजमेर
२५ -१०-२०११
25-10-2011
1709-116-10-11

2 comments:

  1. विश्वास पाने के लिए विश्वास करना भी उतना ही आवश्यक है....
    ekdam sahi.....bahut sunder.

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  2. ye sirf ek shabd nahi isake gahan arth hai...

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